सरकारी स्कूल बनें सॉफ्ट टारगेट

सरकारी स्कूल बनें सॉफ्ट टारगेट
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कथित पत्रकारों से लेकर एनजीओ और छुटभैया नेता धमक जाते हैं स्कूल में 

तीर्थ चेतना न्यूज

देहरादून। राज्य के सरकारी स्कूल कथित पत्रकारों, एनजीओ और छुटभैया नेताओं के लिए सॉफ्ट टारगेट बन गए हैं। आए दिन कोई भी सरकारी स्कूलों में पहुंचकर ज्ञान, नियम और तमाम प्रकार की पूछताछ करने लगते हैं।

इन दिनों कथित पत्रकारों के लिए सरकारी स्कूल रिपोर्टिंग का सबसे अच्छा स्थान बन गए हैं। मोबाइल कैमरा और सुनी सुनाई बातों को लेकर उक्त पत्रकार स्कूलों के हेड/ शिक्षकों से सवाल जवाब के लिए पहुंच रहे हैं। सवाल सुने सुनाए और समझाए/ बुझाए वाले होते हैं। ऐसे पत्रकार न तो शिक्षकों के मान सम्मान का ध्यान और न ही की उनकी शैक्षिक योग्यता का ध्यान रखते हैं।

व्यवस्थागत खामियों के लिए भी सीधे-सीधे शिक्षकों को जिम्मेदार ठहराया जाता है। स्कूलों में नन्हें छात्र/छात्राओं को सीखाए जाने वाले सामान्य शिष्टाचार को ऐसे प्रचारित करने का प्रयास होता है कि स्कूल में बच्चों से काम कराया जा रहा है।

मोबाइल कैमरे से नन्हें छात्र/छात्राओं के वीडियो बनाने इसका लाइव करने आदि.. आदि बातें हो रही हैं। इससे स्कूलों के शिक्षक स्वयं को असहज महसूस कर रहे हैं। कथित पत्रकारों को मिल रहे पंच प्रधानों के साथ से बात और बिगड़ रही है। शिक्षकों ने अब विभाग से इसकी शिकायत करनी शुरू कर दी है।

कुछ जिलों ने इस मामले में कदम भी उठाए हैं। यही नहीं कुछ एनजीओ जेब पर टॉफी/लेमनचूस लेकर ज्ञान झाड़ने आदि दिन सरकारी स्कूलों में पहुंचकर अपने काम का दिखाने का प्रयास करते हैं। सरकारी शिक्षा को स्वयं में समाने को आतुर कुछ एनजीओ का तो सरकारी स्कूलों में डंका बज रहा है। ऐसे एनजीओ पर भी अंकुल लगाने की मांग अक्सर होती रहती है।

इसके अलावा कुछ छुटभैया नेताओं का भी सरकारी स्कूलों को लेकर रवैया हैरान करने वाला होता है। गांव की राजनीति के बिंब स्कूलों में बनाने के प्रयास किए जाते हैं। इससे निपटने में अब शिक्षक स्वयं को असहज महसूस कर रहे हैं।

Tirth Chetna

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