गवर्नमेंट पीजी कॉलेज अगस्त्यमुनि में बौद्धिक संपदा अधिकार पर राष्ट्रीय कार्यशाला

गवर्नमेंट पीजी कॉलेज अगस्त्यमुनि में बौद्धिक संपदा अधिकार पर राष्ट्रीय कार्यशाला
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तीर्थ चेतना न्यूज

अगस्त्यमुनि। गवर्नमेंट पीजी कॉलेज में ‘बौद्धिक संपदा अधिकार’ (आईपीआर) पर हाइब्रिड मोड में आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में विषय विशेषज्ञों ने आईपीआर के विभिन्न अवयवों पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए मौजूदा दौर में इसकी जरूरत को रेखांकित किया।

मंगलवार को उत्तराखंड स्टेट काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी (यूकोस्ट) के सहयोग से कॉलेज के वनस्पति विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में केदारनाथ की विधायक श्रीमती आशा नौटियाल ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। इस मौके पर उन्होंने कहा कि कॉलेज के 50 वें वर्ष में प्रवेश के मौके पर यहाँ उपस्थित होकर वो गौरवान्वित महसूस कर रही हैं।

कहा कि कॉलेज ने पचास वर्षों में निरंतर क्षेत्र में शिक्षा का उजियारा फैलाया। स्वर्णजयंती के इस वर्ष में महाविद्यालय को मेरी अनंत शुभकामनाएं हैं। यहाँ के विकास के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कार्यशाला को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि प्रकृति हमें सब कुछ देती है, हम प्राकृतिक संपदाओं को बौद्धिकता से पुनरूसृजन करके सहेज सकते हैं।

पहाड़ के संदर्भ में पलायन पर रोकथाम से ही नवाचार संभव है। बौद्धिक संपदाओं का प्रयोग और संरक्षण से हमारी युवा पीढ़ी दुनियाभर में विश्वगुरु बनेगी। साथ ही इस विषय का व्यापक प्रचार-प्रसार आवश्यक है।

यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत ने अपने वक्तव्य में कहा कि शिवत्व ही समग्र ज्ञान है और शिवभूमि केदारघाटी में ज्ञान-विज्ञान के प्रचार-प्रसार पर नबवेज की ओर से विशेष ध्यान दिया जा रहा है। जनपद स्तर पर शोध, उद्यमिता, नवाचार आदि को प्रोत्साहित करने हेतु हम प्रतिबद्ध हैं।

कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो. कैलाश चंद्र दुतपुड़ी ने विधायक सहित सभी अतिथियों एवं विषय विशेषज्ञों का स्वागत किया। कहा कि आज का विषय अत्यंत प्रासंगिक है। बौद्धिक संपदा अर्थात् अपनी सृजनात्मकता को संरक्षित करके ही हम अपने व्यक्तित्व का और राष्ट्र का विकास कर सकते हैं। उन्होंने कार्यशाला के सफल संचालन के लिए आयोजक मंडल को शुभकामनाएं प्रेषित की।

कार्यशाला के आयोजक सचिव डॉ. के. पी. चमोली ने कार्यक्रम की महत्ता बताते हुए कहा कि ‘बौद्धिक संपदा अधिकार’ के ज्ञान की कमी के कारण दुनियाभर में लोग अपने अदभुत ज्ञान को प्रकाशित नहीं कर पाते हैं। ज्ञान और सृजनात्मकता को संरक्षित करना, सृजन, ज्ञान, उत्पाद इत्यादि खोज व नवाचार को ट्रेडमार्क, पेटेंट, कॉपीराइट से संरक्षित करना और इन सब से अर्थव्यवस्था को कैसे मजबूती मिलेगी, इन तमाम पहलुओं पर आज के विषय विशेषज्ञ चर्चा करेंगे।

कार्यशाला के प्रथम सत्र में मुख्य वक्ता हे.न.ब.गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय में कंप्यूटर साइंस विभाग के प्राध्यापक डॉ. प्रेमनाथ ने अपने संबोधन में आई.पी.आर. के विभिन्न पहलुओं पर बातचीत करते हुए पेटेंट, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क, जीआई टैग, ट्रेड सीक्रेट, डिजाइन आदि की उपयोगिता, उन्हें प्राप्त करने की योग्यता, वैधता और आई.पी.आर. का आर्थिक महत्त्व पर विस्तारपूर्वक चर्चा की।

दूसरे वक्ता हे.न.ब.गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय में बायोटेक्नोलॉजी विभाग के प्राध्यापक डॉ. सौरभ यादव ने अपने संबोधन में खोज, आविष्कार तथा नवाचार के मध्य अंतर स्पष्ट करते हुए प्रतिभागियों के साथ ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था पर विचार साझा किए । डॉ. अभय कुमार श्रीवास्तव ने भौगोलिक संकेत  पर विस्तृत जानकारी प्रदान की।

तकनीकी सत्र में यूकोस्ट में वैज्ञानिक डॉ. हिमांशु गोयल ने कहा कि पेटेंट तथा कॉपीराइट देश में ही नहीं विदेश में भी लेना आवश्यक है। पेटेंट से उत्पाद की वैधता पर भी विश्वास बनता है। अंत में कार्यशाला के संयोजक डॉ. हरिओम शरण बहुगुणा ने सबके प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. के. पी. चमोली एवं डॉ. नवीनचंद्र खंडूरी ने किया।

इस अवसर पर डॉ. दलीप सिंह बिष्ट, डॉ. एल. डी. गार्गी, डॉ. सीताराम नैथानी, डॉ. पूनम भूषण, डॉ. ममता शर्मा, डॉ. शिवप्रसाद पुरोहित, डॉ. अंजना फर्स्वाण, डॉ. निधि छाबड़ा, डॉ. सुधीर पेटवाल, डॉ.जितेंद्र सिंह, डॉ. सुखपाल, डॉ. गिरिजा प्रसाद रतूड़ी, डॉ. मंजू कठैत, डॉ. चंद्रकला नेगी, डॉ. दीप्ति राणा, डॉ. अनुज कुमार, डॉ. ममता थपलियाल, डॉ. सुनील भट्ट, डॉ. सतीश तिवारी, डॉ. दीपाली सहित महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापक, कर्मचारी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे। इसके साथ ही नागनाथ पोखरी से डॉ. कंचन सहगल एवं देशभर से अनेक प्रतिभागियों ने वर्चुअल माध्यम से कार्यशाला में प्रतिभाग किया।

Tirth Chetna

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