दून विश्वविद्यालय और एसबी कॉलेज कोट्टायम के छात्रों ने साझा किए अनुभव

दून विश्वविद्यालय और एसबी कॉलेज कोट्टायम  के छात्रों ने साझा किए अनुभव
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अनुभव साझा करने को होगा एमओयू

तीर्थ चेतना न्यूज

देहरादून। दून विश्वविद्यालय और एसबी कॉलेज कोट्टायम, केरल के बीच शिक्षा की बेहतरी और अनुभवों को साझा करने के लिएम एमओयू किया जाएगा।

शुक्रवार को एसबी कॉलेज, कोट्टायम के समाज कार्य विभाग के छात्रों और संकाय सदस्यों के एक समूह ने आज दून विश्वविद्यालय का दौरा किया, कुलपति, संकाय सदस्यों और छात्रों के साथ बातचीत की और दोनों संस्थान शैक्षणिक गतिविधियों के विविध क्षेत्रों में सहयोग करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने जा रहे हैं।

दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल ने कहा कि समाज कार्य विभाग मौजूदा और उभरती सामाजिक, विकासात्मक और पर्यावरणीय स्थितियों और हिमालयी क्षेत्रों और विशेष रूप से उत्तराखंड और देश की बदलती जरूरतों के सन्दर्भ में सामाजिक कार्यकर्ताओं के पेशेवर बल को तैयार करने के लिए प्रतिबद्ध है।

दक्षिणी राज्य से आए प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए प्रोफेसर डंगवाल ने कहा, ष्समुदायों के जीवन और आजीविका में सुधार लाने पर केंद्रित, सामाजिक कार्य पाठ्यक्रम मौजूदा समाज के सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और पारिस्थितिक जीवन की जटिल सैद्धांतिक और व्यावहारिक-साक्ष्य-आधारित समझ को मजबूत करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

छात्रों और शिक्षकों के साथ अपने संवादात्मक सत्र में स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज के डीन प्रोफेसर आर.पी ममगाईं ने हिमालयी क्षेत्र के सामाजिक और विकासात्मक पहलुओं को समझने और संबोधित करने के लिए अंतःविषय दृष्टिकोण की आवश्यकता को रेखांकित किया।

प्रो. ममगाईं ने कहा, “अर्थशास्त्र या समाजशास्त्र जैसे केवल एक विषय हमें उन मुद्दों का विश्लेषण करने के लिए पर्याप्त अकादमिक उपकरण प्रदान करने के लिए पर्याप्त नहीं है, जिनके लिए अर्थशास्त्र, मनोविज्ञान, सामाजिक कार्य, शिक्षा, विकास अध्ययन, सामाजिक मानवशास्त्र और यहां तक ​​कि भूगोल और भूविज्ञान जैसे विषयों को शामिल करते हुए एक संयुक्त और अंतःविषय दृष्टिकोण की आवश्यकता है।”

एसबी कॉलेज, कोट्टायम की डॉ. जॉली के. जेम्स ने कहा कि एक-दूसरे के अनुभवों और विशिष्ट स्थितियों से सीखने के लिए विभिन्न संस्थानों के बीच सहयोग होना बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, “जब हमने इसकी तुलना हिमालयी राज्य उत्तराखंड से की तो केरल की संस्कृति, भूगोल, जलवायु और सामाजिक ताना-बाना अलग है। इसलिए, हमारे दोनों संस्थानों को एक-दूसरे के क्षेत्रों के बारे में अपनी समझ बढ़ानी चाहिए और इस प्रकार सामाजिक कार्य के क्षेत्र में अधिक कुशलता से योगदान देना चाहिए।”

समाज कार्य विभाग के प्रभारी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर हर्ष डोभाल ने विश्वविद्यालय और समाज कार्य विभाग तथा उत्तराखंड की सामाजिक और सांस्कृतिक विरासत के बारे में जानकारी दी। हमारा समाजिक कार्य का पाठ्यक्रम, समाज शास्त्र, मनोविज्ञान, अर्थशास्त्र, संचार, सांख्यिकी, परामर्श, अनुसंधान आदि विषयों को भी समाहित करता है। चूंकि हम राज्य पोषित विश्वविद्यालय हैं और विशिष्ट क्षेत्रीय आवश्यकताओं के प्रति ज्ञान और कौशल उत्पन्न करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, इसलिए हमने अपने राज्य के सामाजिक, पर्यावरणीय और सांस्कृतिक मुद्दों को संबोधित करने के लिए इस पाठ्यक्रम को अनुकूलित किया है,” प्रोफेसर डोभाल ने कहा।

प्रोफेसर डोभाल ने कहा कि दुनिया में समाज कार्य की आवश्यकता बढ़ रही है, जो अधिक युद्ध-प्रवण, आपदा-प्रवण, जलवायु संकट प्रवण है और इन स्थितियों में मानवीय हस्तक्षेप एक महत्वपूर्ण घटक है। यही कारण है कि समुदाय के साथ काम करने या सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रशिक्षित सामाजिक कार्यकर्ताओं की बढ़ती आवश्यकता है।

छात्र कल्याण के डीन प्रोफेसर एचसी पुरोहित ने विश्वविद्यालय में सामाजिक कार्य जैसे विषय पढ़ाने की महत्ता पर प्रकाश डाला और कहा की विकास की योजनाओं को ज़मीन पर लाने के लिए एक सुशिक्छित और कौशल युक्त सामाजिक कार्यकर्ता एक महवपूर्ण कड़ी की जरुरत होती है। उन्होंने आगंतुक प्रतिनिधिमंडल को धन्यवाद प्रस्ताव दिया।

सामाजिक मानवशास्त्र विभाग के डॉ. मानवेंद्र बर्थवाल ने विद्यार्थियों को राज्य की सांस्कृतिक विरासत और केरल तथा उत्तराखंड के बीच ऐतिहासिक संबंधों से अवगत कराया। उन्होंने विशेष रूप से बद्रीनाथ और केदारनाथ के पवित्र तीर्थस्थलों के साथ केरल के संबंधों का उल्लेख किया।

समाज कार्य विभाग के डॉ. हेमंत तिग्गा ने एम.ए. इन सोशल वर्क पाठ्यक्रम के बारे में विस्तृत प्रस्तुति दी। उन्होंने पाठ्यक्रम का विस्तार से परिचय कराया और विद्यार्थियों तथा शिक्षकों को भविष्य में विश्वविद्यालय आने का निमंत्रण दिया।

एस.बी. कॉलेज के विद्यार्थियों ने अपने राज्य, अपने कॉलेज तथा समाज कार्य कार्यक्रम के सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व तथा उत्तराखंड के विभिन्न स्थानों और संस्थानों में जाने के अपने अनुभवों के बारे में पावर प्वाइंट प्रस्तुति दी।

Tirth Chetna

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