डीएसबी ऋषिकेश के छात्रों ने गाढ़े झंडे, नेशनल तीरंदाजी में झटके 33 पदक

डीएसबी ऋषिकेश के छात्रों ने गाढ़े झंडे, नेशनल तीरंदाजी में झटके 33 पदक
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19 स्वर्ण, नौ रजत समेत 33 पदक झटके

तीर्थ चेतना न्यूज

ऋषिकेश। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आयोजित जूनियर सबजूनियर नेशनल तीरंदाजी प्रतियोगिता में डीएसबी के छात्र-छात्राओं ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए 19 स्वर्ण पदक, 9 रजत पदक तथा 5 कांस्य पदक सहित 33 पदक जीतकर राष्ट्रीय स्तर पर दूसरा स्थान प्राप्त किया।

डीएसबी विद्यालय के प्रधानाचार्य शिव सहगल ने बताया कि नेशनल तीरंदाजी प्रतियोगिता में अंडर 10 बालक वर्ग में विहान मलिक ने स्वर्ण पदक तथा आद्विक गुप्ता ने कांस्य पदक प्राप्त किया। वहीं बालिका वर्ग में ऋषिका शर्मा ने स्वर्ण पदक प्राप्त किया। अंडर 14 बालक वर्ग में वर्णित रावत ने दो रजत पदक, दीपांचल, नैतिक तथा विहान गैरोला ने 1-1 रजत पदक एवं अर्जुन कंसवाल ने कांस्य पदक प्राप्त किया।

बालिका वर्ग में अनुष्का जुगतवान ने दो स्वर्ण पदक प्राप्त किए। इसी वर्ग में आराध्या चौहान ने एक स्वर्ण तथा एक कांस्य पदक, आराध्या मौर्य ने एक स्वर्ण तथा एक रजत पदक एवं सांची गुसाई ने दो स्वर्ण पदक अपने नाम किए।

अंडर 17 बालक वर्ग में कृष्णा मेहता ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए दो स्वर्ण पदक प्राप्त किए वहीं अंशुमन कुमार ने एक स्वर्ण पदक तथा एक रजत पदक और यश रावत ने भी दो स्वर्ण पदक अपने नाम किए।

अंडर-17 बालिका वर्ग में जिया गुगनानी ने एक स्वर्ण पदक तथा एक कांस्य पदक, जागृति भंडारी ने दो स्वर्ण पदक तथा भवी गोयल ने एक स्वर्ण एवं एक कांस्य पदक प्राप्त किया। अंडर-19 बालक वर्ग में देवोजीत रावत ने एक स्वर्ण और एक रजत पदक तथा ओजस पैन्यूली ने भी एक स्वर्ण और एक रजत पदक अपने नाम किया।

डीएसबी के छात्र-छात्राओं ने 19 स्वर्ण पदक, 9 रजत पदक एवं 5 कांस्य पदक सहित कुल 33 पदक जीतकर इस राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में दूसरा स्थान प्राप्त कर अपने विद्यालय तथा अपने प्रदेश उत्तराखंड का नाम रोशन किया।

छात्र-छात्राओं की इस उपलब्धि पर स्कूल के चेयरमैन ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी जी महाराज ने छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए कहा कि डीएसबी विद्यालय के बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ खेलों में भी बढ़-चढ़कर प्रतिभाग कर रहे हैं तथा अपने विद्यालय व प्रदेश का नाम रोशन कर रहे हैं। जहां भी इस विद्यालय के बच्चे प्रतियोगिता में जाते हैं वहीं अपनी छाप छोड़कर आते हैं।

Tirth Chetna

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