दिल्ली में श्री केदारनाथ मंदिर निर्माण मान्यताओं के साथ मजाकः कोटियाल
तीर्थ चेतना न्यूज
देहरादून। दिल्ली में श्री केदारनाथ मंदिर निर्माण की बात करना स्थापित और धार्मिक मान्यताओं को मजाक उड़ाना है। धर्मानुरागी लोग इसे कतई सहन नहीं करेंगे।
ये कहना है पूर्व सूचना आयुक्त एवं वरिष्ठ एडवोकेट राजेंद्र कोटियाल का। हिन्दी न्यूज पोर्टल तीर्थ चेतना से बातचीत में उन्होंने कहा कि स्थापित मठ और मंदिरों को अपनी सुविधानुसार शिफट करने की बात सोचना भी गुनाह के समान है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली में श्री केदारनाथ मंदिर के निर्माण की बात स्थापित मान्यताओं के साथ मजाक जैसा है। इससे संबंधित कार्यक्रम में राज्य के जिम्मेदार लोगों की मौजूदगी हैरान करने वाली है। श्री केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित और स्थानीय लोग ऐसे प्रयासों से हतप्रभ हैं।
उन्होंने कहा कि 1974/75 में ऐसे प्रयास श्री बदरीनाथ धाम में भी किए गए थे। इसका तीर्थ पुरोहितों और स्थानीय लोगों ने विरोध किया। कई दिनों तक जेल में रहे और धन्नासेठों के ट्रस्ट के मंसूबों को पूरा नहीं होने दिया गया।
पूर्व सूचना आयुक्त राजंेद्र कोटियाल ने जोर देकर कहा कि श्री बदरीनाथ, श्री केदारनाथ, श्री गंगोत्री, श्री यमुनोत्री और तमाम अन्य मंदिर और मठ एक ही हो सकते हैं। सुविधा के अनुसार कहीं भी इनकी प्रतिकृति के निर्माण की बात सोचना भी ठीक नहीं है।
ये गलत है और इससे देवभूमि उत्तराखंड के सामाजिक और आर्थिक हित प्रभावित होंगे। कहा कि इसका हर स्तर पर विरोध किया जाएगा। जरूरत हुई तो न्यायालय शरण तक भी जाएंगे।