मै देवप्रयाग का बाह बाजार झूला पुल हुं

सुदीप पंचभैया ।
मै सतयुग के तीर्थ देवप्रयाग का बाह बाजार झूला पुल हुं। मै ब्रितानी हुकूमत में सामाजिक सरकारों के प्रति जिम्मेदार लोगों की याद दिलाता हूं। मैने राजशाही को चुनौती देने वालों और भारतीय गणराज्य में यकीन रखने वालों का साथ दिया। मै तमाम युवा दिलों के राज को समेटे हुआ झूला पुल हुं।
जी हां, मैं सतयुग के तीर्थ देवप्रयाग का बाह बाजार झूला पुल हुं। सरकार ने दीवार लगाकार मुझे हमेशा के लिए बंद कर दिया है। मेरी सेवा लेने वाले मौन हैं मुझे इस बात की गहरी पीड़ा है। मेरे महत्व को भले ही सरकार न समझे। मगर, देवप्रयाग के लोग मुझे जीते हैं।
उनके पास मै ही तो था जो उन्हें पार करवाता था। मै अपने आप में तमाम यादें समेटे हुए हुं। आप भुल गए तो क्या हुआ। मुझे तो सब याद है। मुझसे होकर तरक्की के लिए गए लोग मुझे याद करते हैं। मगर, मुझे बंद करने वालों को कोसने से भी डर रहे हैं। आप राजशाही से नहीं डरे तो अपने वोट से चुनी सरकार से क्यों डरते हो।
मै सदानीरा अकनंदा पर सुहागिन की मांग की तरह हुं। मैं जंगे आजादी के वक्त का है झूला पुल हुं। तब सामाजिक सरोकारों से गहरे से जुड़े सेठों ने मेरा निर्माण कराया। प्रेरणा देने का काम किया देवप्रयाग के तीर्थ पुरोहित रहे। अब आपकी प्रेरणा काम नहीं कर रही है। खैर क्या कहूं। आप तो श्री बदरीनाथ में भी अपने अस्तित्व के लिए जूझ रहे हो।
बहरहाल, मै भी अस्तित्व के लिए जूझ रहा हूं। टिहरी रियासत की खिलाफत का गवाह रहा हुं। राजशाही को चुनौती देने वालों को मैने सुरक्षित ब्रिटिश गढ़वाल तक पहुंचाने का काम किया। राजा की पुलिस के आने तक मैने सबको सुरक्षित ठिकाने पर पहुंचाया।
मै भी राष्ट्रवादी हुं। मै देवप्रयाग के परम रसूख का गवाह हुं। उत्तराखंड राज्य बनने तक में मेरा रसूख बना रहा आप भी तो मुझ पर खूब इतराते थे। मेरे समेत सतयुग के तीर्थ देवप्रयाग के रसूख को मिटाने में कौन लोग शामिल हैं अब बताने की जरूरत नहीं हैं।
मै बाह बाजार का झूला पुल हूं। मैने असंख्य लोगो को पार कराया। मैने तीर्थाटन और पर्यटन को समान रूप से सम्मान दिया। मै तमाम युवा दिलों के राज को अपने आप में समेटे हुए हूं। मैने निराश युवाओं को निरंतरता का संदेश दिया। मैने राजशाही के दौर में भी दो जिलों के रिश्तों को नहीं टूटने दिया। मै आज टूटने की कगार पर हूं। मेरा इलाज करने के बजाए मुझे चिर निंद्रा में भेजा जा रहा है।
मै आपका बाह बाजार झूला पुल हूं। मुझे बार-बार याद दिलानी पड़ रही है। ये भरोसे का कत्ल जैसा है। मै निर्जीव होकर भी सजीव हूं। आपको क्या हो गया। कोई तो बोले। मै हूं आपका बाह बाजार झूला पुल।
देवप्रयाग के युवाओं सच बोलो तो क्या तुम्हें चलना सीखाने में मेरा योगदान नहीं है। मै आपके ठुमक-ठुमक दादा, चाचा, पिता, भाई की अंगुली पकड़कर चलने का मूक गवाह रहा हूं। याद तो कर लो।
देवप्रयाग की बेटियों तुम भी मुझे भूल गए। तुम्हारी डोलियों को आर-पार कराने का माध्यम तो मै ही था। मैने बारात रोककर तुम्हारी कुशलता की गारंटी लेता था। विवाह के बाद मायके आने और ससुराल जाने और तमाम सुख दुख का साक्षी रहा। जहां भी हो बाह बाजार झूला पुल को याद तो करो।
मैं देवप्रयाग का झूला पुल हूँ।
मुझे यहां के राजनेताओं ने बन्द करवा दिया ।
मुझे केवल राजनैतिक हित के लिए उपयोग किया गया ।
लम्बे राजनैतिक अनुभव के नाम पर ठगा गया ।
मेरे ऊपर खड़े होकर न जाने कितनी बार नेताओं ने मुझे सँवारने की सौगंध खाई ।
न जाने कितनी बार वाहवाही कमाई ।
लेकिन आज चुपचाप अपने होटलों में बैठे हुए हैं ।
खैर तुमसे भी क्या शिकायत करूँ देवप्रयाग की जनता जब तुमने रिश्तेदारी में, एक साड़ी में।
झूठे दिलासे में , अनुभव के झांसे में।
लोगों की बातों में, चंद रातों में ।
अपना ईमान बेच दिया ।
बेईमान को बिठा दिया ।
तो मेरी तो ये ही हालत होनी थी ।
हुक्मरान तो होटल में बैठा मौन है ।
मेरे बारे में सोचे अब कौन है ।
अब तो यादों से भी गुल हूँ।
मैं बाह बाजार का झूलता पुल हूँ।