स्कूल और डिग्री कॉलेजों में नियुक्ति घोटोलों का अंत नहीं

स्कूल और डिग्री कॉलेजों में नियुक्ति घोटोलों का अंत नहीं
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वित्तीय मान्यता वाले स्कूल/कॉलेजों का मामला

तीर्थ चेतना न्यूज

देहरादून। राज्य में पर्याप्त गवर्नमेंट स्कूल/डिग्री कॉलेजों के बावजूद प्राइवेट स्कूल/कॉलेजों को मिलने वाली वित्तीय मान्यता और फिर उक्त स्कूलों में शिक्षक/प्राध्यापकों की नियुक्तियों में होने वाले घोटोनों का कहीं अंत नहीं है।

इन दिनों राज्य में सरकारी नौकरियों के एक के बाद एक घोटाले सामने आ रहे हैं। अभी तक जितने भी घोटाले सामने आए हैं ये वास्तविक घोटालों से बहुत कम हैं। देवभूमि उत्तराखंड सरकारी नौकरियों के घोटाले में बहुत आगे निकल गया है। सरकारी नौकरियों में घोटालों के होने की बड़ी वजह उत्तरराखंड के लोग अपने लिए जनप्रतिनिधि नहीं चुनते। लोग राजनीतिक दल चुनते हैं। परिणाम सबके सामने है।

बहरहाल, उत्तराखंड राज्य में प्राइवेट स्कूल/ डिग्री कॉलेजों की वित्तीय मान्यता और शिक्षक/शिक्षणेत्तर कर्मियों की नियुक्तियों में बड़े-बड़े घोटाले हुए हैं और हो रहे हैं। इन घोटालों का कहीं अंत नहीं दिख रहा है। यही नहीं इन घोटालों को अच्छा खासा प्रोटेक्शन भी मिलता रहा है।

सबसे बड़ा घोटाला ये है कि राज्य में पर्याप्त स्कूल/डिग्री कॉलेजों के बावजूद प्राइवेट स्कूल/कॉलेजों को वित्तीय मान्यता क्यों दी जा रही है। प्राइवेट डिग्री कॉलेजों में प्राध्यापक की नियुक्तियों को लेकर पब्लिक डोमेन में जो कुछ सुनने और देखने को मिलता है वो भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात का मुंह चिढ़ाता है।

वित्तीय मान्यता वाले स्कूलों शिक्षक और शिक्षणेत्तर कर्मियों की नियुक्तियों को लेकर आए दिन कुछ न कुछ देखने और सुनने को मिलता है। कुछ वर्ष पूर्व पौड़ी, देहरादून और हरिद्वार जिले में कुछ नियुक्तियां खासी चर्चा में रही थी। पौड़ी में हुई नियुक्तियों को लेकर तो तत्कालीन जिलाधिकारी ने भी सवाल उठाए थे।

इस मामले की जांच भी हुई। हैरानगी की बात ये है कि जांच में कुछ नहीं निकला और सब हर हर गंगे हो गया। इस समय नौकरी घोटाले को लेकर राज्य में मचे बवाल से भी कुछ खास नहीं होने वाला।

Tirth Chetna

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