देहरादून। उत्तराखंड क्रिकेट के सर्वोच्च संस्था क्रिकेट एसोसिएशन उत्तराखंड के कर्ताधर्ता ही क्रिकेट के साथ मजाक करने लगे हैं। परिणाम राज्य में क्रिकेट की छवि प्रभावित हो रही है।
राज्य गठन के पहले 15 साल विभिन्न एसोसिएशनों के झमेले के चलते बीसीसीआई ने मान्यता नहीं दी। इससे राज्य के कई क्रिकेटरों का भविष्य चौपट हुआ। अब किसी तरह से बीसीसीआई ने क्रिकेट एसोसिएशन उत्तराखंड के नाम से मान्यता दी तो दो साल के भीतर ही इतने विवाद जुड़ गए कि उत्तराखंड में क्रिकेट के साथ मजाक साबित होने लगा है।
कभी उत्तराखंड में छोटी-मोटी नौकरी के लिए सड़कों पर भटकने वाले के एसोसिएशन का सर्वेसर्वा बनने से रही सही कसर पूरी हो गई। अब कोच वसिफ जाफर के इस्तीफे के बाद एसोसिएशन के अंदर की कई बातें बाहर आ गई हैं।
क्रिकेट में अपने कॅरियर देख रहे युवाओं को इससे खास धक्का लगा है। अंदर की गंदगी को देख अब राज्य का क्रिकेट टैलेंट स्वयं का ठगा सा महसूस कर रहा है। मेहनत के बूते आगे बढ़ने में विश्वास रखने वाले राज्य के युवा इससे हैरान परेशान है।
हैरान करने वाली बात ये भी है कि राज्य की पॉलिटिकल क्लास ने अभी तक क्रिकेट एसोसिएशन उत्तराखंड में विभिन्न स्तरों पर चल रहे धांधलेबाजी पर मुंह नहीं खोला। इसको लेकर भाजपा और कांग्रेस पर सवाल खड़े हो रहे हैं।