विधायकों के खिलाफ नाराजगी से भाजपा परेशान
ऋषिकेश। करीब दो दर्जन सिटिंग विधायकों के खिलाफ जनता ही नहीं पार्टी कार्यकर्ताओं की नाराजगी ने भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। भाजपा के थिंक टैंक को अबकी बार 60 के पार नारे में यही सबसे बड़ी अड़चन दिख रही है।
सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ सत्ताविरोधी रूझान आम तौर पर देखा जाता है। इस सत्ताविरोधी रूझान को नेता अपनी सक्रियता, लोकप्रियंता से कम करने का प्रयास करते हैं। मगर, उत्तराखंड में ऐसा दूर-दूर तक नहीं दिख रहा है।
यहां सत्ताधारी दल के प्रति लोगां में कम नाराजगी और उसके सिटिंग विधायकों के खिलाफ ज्यादा नाराजगी दिख रही है। विभिन्न क्षेत्रों में इसकी अलग-अलग वजह हैं। हालांकि ये नाराजगी कहीं न कहीं सत्ता जनित ही है।
विधायकों के खिलाफ जनता में ही नाराजगी नहीं है। बल्कि एक दर्जन से अधिक विधायकों को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं में जबरदस्त नाराजगी है। इस नाराजगी को दूर करने के लिए भाजपा संगठन के स्तर से करीब साल भर से हो रहे प्रयास को भी खास असर देखने को नहीं मिल रहा है।
ऐसे तमाम क्षेत्रों में सिटिंग विधायक का टिकट काटकर अन्य को चुनाव लड़ाने की मांग खूब हो रही है। इन सब बातों ने भाजपा की परेशानियां बढ़ा दी हैं। माना जा रहा है कि अबकी बार 60 के पार के नारे को धरातल में उतारने में इसी प्रकार की नाराजगी बड़ी अड़चन पैदा कर सकती है।
प्रत्याशियों के नाम के ऐलान में हो रहे विलंब की सबसे बड़ी वजह यही मानी जा रही है। पार्टी फिलहाल सिटिंग विधायकों के टिकट काटने से हिचकिचा रही है। कुछ सीटों पर इस प्रकार की नाराजगी को दूर करने के लिए विधायकों को आस-पास की सीट से लड़ाने की बात भी खूब चर्चा में है।
विधायकों के क्षेत्र बदलने यानि शिफ्टिंग से भी उतने ही नुकसान की आशंका है जितनी मौजूदा स्थिति में।