अग्निवीर और ओपीएस ने बिगाड़ा भाजपा का खेल
सुदीप पंचभैया
लोकसभा चुनाव के परिणामों पर सबसे अधिक प्रभाव रोजगार का दिखा। सेना में लागू अग्निवीर योजना और सरकारी शिक्षक कर्मचारियों की पुरानी पेंशन की मांग ने देश भर में असर दिखाया। आने वाले चुनावों में ये मुददे और असरकारक होंगे।
18 वीं लोकसभा के चुनाव परिणाम पर निर्वाचन आयोग ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। किसी भी दल को सरकार बनाने का पूर्ण बहुमत नहीं मिला। अबकी बार चार सौ पार के नारे के साथ चुनाव में उतरी भाजपा के लिए ये बड़ा झटका रहा।
हालांकि भाजपानीत एनडीए गठबंधन के पास सरकार बनाने के लिए जरूरी आंकड़े हैं। एनडीए की सरकार बनने जा रही है। तय है कि इस सरकार में भाजपा की हनक और खनक पहले जैसी नहीं रहेगी।
चुनाव परिणामों का राजनीतिक दल, राजनीति के जानकार अपने-अपने हिसाब से विश्लेषण कर रहे हैं। जातिय गणितों, धार्मिक मुददों का ऑपरेशन किया जा रहा है। यूपी मंे सपा की जीत को दूसरी नजर से देखा जा रहा है तो मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड, हिमाचल आदि राज्यों में भाजपा की एकतरफा जीत को दूसरे नजर से।
दरअसल, देश भर से आए चुनाव परिणामों में युवाओं के रोजगार के मुददे का सबसे अधिक असर दिखा। सरकारी शिक्षक/कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली की मांग का भी खूब असर दिखा। आने वाले चुनावों में ये असर और स्पष्ट तरीके से दिखेंगे।
किसान आंदोलन के दौरान केंद्र सरकार के रवैए का भी कई राज्यों के चुनाव परिणामों में असर दिखा। दरअसल, पिछले 10 सालों में केंद्र की मोदी सरकार कई मामलों में हद दर्जे की जिद दिखाई। लोकतंत्र में जिद और मनमर्जी के लिए कोई स्थान नहीं है।
मोदी सरकार और भाजपा सरकारी शिक्षक/कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली की मांग की खिल्ली उड़ाते रहे हैं। एनपीए की एडवोकेसी करते रहे। जिन राज्यों ने पुरानी पेंशन बहाल की उन राज्यों को वित्तीय प्रबंधन के नाम पर कोसते रहे। सेना में चार साल की नौकरी अग्निवीर योजना की भाजपाई विशेषता गिनाते रहे। आज भी गिना रहे हैं।
युवा इस मामले में भाजपा से दूर छिटक गया। अब युवाओं के मन में भाजपा को लेकर पहले जैसा उत्साह नहीं रहा। 2014 और 2019 के आम चुनाव में युवाओं ने भाजपा को एक तरफा सपोर्ट किया था। युवाओं के सपोर्ट ने भाजपा और विपक्ष के बीच बड़ा अंतर बना दिया था।
भाजपा अग्निवीर को लेकर युवाओं की नाराजगी और पुरानी पेंशन बहाल न होने से शिक्षक/कर्मचारियों की नाराजगी को फ्री राशन से पाटना चाहती थी। उत्तराखंड, हिमाचल, मध्य प्रदेश जैसे कुछ राज्यों में भाजपा इसमें सफल भी हुई। मगर, उत्तर प्रदेश, राजस्थान जैसे राज्यों में भाजपा का ये प्रयोग सफल नहीं हो सका। इन राज्यों में विपक्ष ने अग्निवीर योजना की हकीकत लोगों को बेहतर तरीके से समझाई। पेंशन न होने से सरकारी कर्मचारियों के बुढ़ापे की दुश्वारियों को बताया। परिणाम सबके सामने है।
उत्तराखंड और हिमाचल जैसे राज्य में अग्निवीर और पुरानी पेंशन बहाली मुददे ने कांग्रेस की संगठनात्मक कमजोरी की वजह से असर नहीं दिखाया। उक्त मुददे दोनों राज्यों में सुलग रहे थे और अभी भी सुलग रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में लोकसभा चुनाव के साथ हुए विधानसभा उपचुनाव में इसका असर दिखा। हिमाचल की चारों लोकसभा सीट भले ही भाजपा जीतने में कामयाब रही हो। मगर, विधानसभा उपचुनाव में जीत कांग्रेस को मिली।
छह में से चार सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की। इस तरह से हिमाचल की जनता ने कांग्रेस की सुक्खू सरकार को पूरी तरह से सुरक्षित कर दिया है। सुक्खू सरकार ने हिमाचल प्रदेश में सरकारी शिक्षक/कर्मचारियों की पेंशन बहाल की है।
बहरहाल, अग्निवीर योजना और पुरानी पेंशन बहाली के मुददों को भले ही भाजपा तवज्जो नहीं देती हो। मगर, एनडीए में शामिल कई दल इन मुददों को मानती और समझती है। उम्मीद है कि एनडीए सरकार अग्निवीर की भी समीक्षा होगी और कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली की दिशा में भी कुछ होगा।