नौकरियों की बंदरबांट में ऐसे आए भाजपा नेताओं के नाम सामने
ऋषिकेश। विधानसभा में नौकरियों की बंदरबांट में भाजपा नेताओं और संघ के पदाधिकारियों के नाम हो पड़ोसी मेरे जैसा की तर्ज पर सामने आए। इसके पीछे की मंशा भी अब स्पष्ट होने लगी है।
दरअसल, 2022 के विधानसभा चुनाव से तीन-चार माह पूर्व विधानसभा में नौकरियों की बंदरबांट को लेकर कानाफूसी शुरू हो गई थी। ऐसा ही 2016 में कांग्रेस के शासन में भी हुआ था। चुनाव निपटने के बाद धीरे-धीरे बोल कोई सुनना ले की तर्ज पर सामने आने लगे।
जिम्मेदार लोगों को जब शक हुआ कि बात कहीं न कहीं से लीक होकर बड़े दरबार तक पहुंचने लगी है तो डैमेज कंट्रोल शुरू हुआ। धार बनाया गया कांग्रेस के शासन को। मगर, इससे भी जब बात नहीं बनीं तो हो पड़ोसी मेरे जैसा फार्मूले पर काम किया गया।
बड़ी चतुराई से भाजपा के नेताओं और संघ के पदाधिकारियों के कथित नजदीकियों के नाम एक कान से दूसरे कान तक पहुंचाया गया। तकाजा करने वालों के सामने बड़े-बड़े नाम लेकर उनकी व्याकुलता को अभी तक शांत किया जा रहा है।
इससे भी काम नहीं चला तो ऐसी लिस्ट वायरल की गई जिसमें कर्मचारी का नाम और बड़े नेता के साथ उसका संबंध बताया गया। अपने बचाव में किए गए इस उपक्रम ने पूरी भाजपा को ही लपेटे में ले लिया।
ये बात कहीं भी रिकॉर्ड में नहीं हो सकती। यदि है तो नौकरी की अनुशंसा करने वाले के खिलाफ बड़ा मामला बनेगा। गरज ये है कि मै ही मै नहीं और भी और बड़े भी हैं। पूछकर ही काम किया है। इस बात को लेकर कई स्तरों पर नाराजगी की खबरें भी हैं। 2016 में भी ऐसा हुआ। मगर, सत्ता या किसी भी स्तर से संबंधों पर सूची कभी सामने नहीं आई।