अहंकार बुद्धि और ज्ञान को हर लेता हैः भागवताचार्य शिवस्वरूप नौटियाल
तीर्थ चेतना न्यूज
कोटद्वार। अहंकार सबसे पहले बुद्धि और ज्ञान को समाप्त करता है। इसके बाद अहंकारी बुद्धि विवेक से काम नहीं ले पाता और अपयश का भागी बनता है।
ये कहना है भगवताचार्य शिवस्परूप नौटियाल का। कोटद्वार के सिम्भलचौड़ में चल रही शाह बंधुओ द्वारा आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा आयोजन के चतुर्थ दिवस पर भागवताचार्य शिवस्वरूप नौटियाल ने कहा कि व्यक्ति को अहंकार नहीं करना चाहिए, अहंकार बुद्धि और ज्ञान का हरण कर देता है कहकर श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का प्रसंग सुनाया कि ज़ब अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी, तो भगवान कृष्ण को अवतरित होना पड़ा।
सात संतानों के बाद जब देवकी गर्भवती हुई, तो उसे अपनी इस संतान की मृत्यु का भय सता रहा था। भगवान की लीला वे स्वयं ही समझ सकते हैं। भगवान कृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए और भगवान श्रीकृष्ण गोकुल पहुंच गए शास्त्री ने कहा कि जब-जब धरती पर धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान धरती पर अवतरित होते है ।
जैसे ही कथा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ पूरा पंडाल कृष्ण भगवान जी के जयकारों से गूंजने लगा। इस भागवत कथा को यतिन शाह, निर्मल शाह, शिशुपाल शाह, पुष्कर शाह बंधु आयोजित करवा रहें है कथा श्रवण में सिम्भलचौड़,पदमपुर, लालपुर, तडियाल चौक के काफ़ी संख्या मौजूद थे ।