बालवाटिका संबंधित प्रशिक्षण हेतु साहित्य निर्माण कार्यशाला संपन्न

बालवाटिका संबंधित प्रशिक्षण हेतु साहित्य निर्माण कार्यशाला संपन्न
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देहरादून। सपोर्ट टु प्राइमरी कार्यक्रम के अंतर्गत आंगनवाड़ी कार्यकर्त्रियों के बालवाटिका संबंधित प्रशिक्षण हेतु प्रशिक्षण साहित्य निर्माण कार्यशाला संपन्न हो गई।

एस॰सी॰ई॰आर॰टी॰ उत्तराखण्ड, देहरादून के तत्वावधान में सीमैट सभागार उत्तराखण्ड, देहरादून में सपोर्ट टु प्राइमरी कार्यक्रम के अंतर्गत आंगनवाड़ी कार्यकर्त्रियों के बालवाटिका संबंधित प्रशिक्षण हेतु प्रशिक्षण साहित्य निर्माण कार्यशाला शुक्रवार को समापन हो गया। समापन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि डा॰ रीतु चन्द्र, उप सचिव, भारत सरकार ने कहा कि उत्तराखण्ड में पूर्व प्राथमिक स्तर की गुणवत्ता से संबंधित कार्यों की सराहना की।

उन्होंने राज्य की आंगनवाड़ियों के स्वयं के द्वारा किए गए भ्रमण के अनुभव साझा करते हुए आंगनवाड़ी कार्यकर्त्रियों के कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड द्वारा शिशुवाटिका, फुहार, बालवाटिका हस्तपुस्तिका का प्रकाशन पूर्व प्राथमिक शिक्षा की सुदृढ़ीकरण के लिए महत्वपूर्ण कदम है।

उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण को प्रभावी बनाने के लिए अनुश्रवण प्रक्रिया को भी व्यवस्थित बनाना होगा। इस हेतु अनुश्रवण मोबाइल एप भी बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आंगनवाड़ी कार्यकर्त्रियों को भारत सरकार द्वारा विकसित बुनियादी साक्षरता एवं संख्याज्ञान, निष्ठा आकलन मॉड्यूल, एन॰सी॰ई॰आर॰टी॰ नई दिल्ली द्वारा तैयार यू-ट्यूब चैनल तथा पूर्व प्राथमिक शिक्षा से संबंधित वीडियो आदि के लिंक आंगनवाड़ी कार्यकर्त्रियों एवं प्रशिक्षण समन्वयकों को साझा करने होंगे।

उनके कहा कि प्रशिक्षण साहित्य में बच्चों के आयु एवं मानसिक स्तर के अनुरूप रोचक गतिविधियाँ की जानी चाहिए। साथ ही यह भी कहा कि आंगनवाड़ी कार्यकर्त्रियों के लिए 200 दिनों का कार्यक्रम तैयार कर उन्हें क्रियान्वयन हेतु उपलब्ध कराना होगा।

निदेशक, अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण उत्तराखण्ड, सीमा जौनसारी ने कहा कि बालवाटिका के जमीनी स्तर तक क्रियान्वयन के लिए शिक्षा विभाग और आंगनवाड़ी तथा बालविकास से जुड़े अधिकारियों के बीच निरंतर संवाद होना जरूरी है। बच्चों में अंकीय ज्ञान और भाषा संबंधी कौशलों का विकास आवश्यक है।

इसलिए भारत सरकार द्वारा निपूण भारत ( नेशनल इनिशिएटिव प्रोफिसिएंसी इन रीडिंग विद अंडरस्टैंडिंग ) कार्यक्रम चलाया गया है, जिसमें वर्ष 2026-27 तक घर बच्चे में भाषा और अंक ज्ञान के लक्ष्य को पूरा किया जाना होगा। अपर निदेशक, एस॰सी॰ई॰आर॰टी॰ उत्तराखण्ड, डा॰ आर॰डी॰ शर्मा ने कहा कि बालवाटिका के सफल संचालन के लिए बच्चे के मनोविज्ञान की जानकारी का होना आवश्यक है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में पूर्व स्कूली शिक्षा को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। इस अवस्था में विद्यार्थी के मस्तिष्क का विकास तेजी से होता है। इसलिए यहीं से बच्चे के समग्र विकास पर ध्यान दिया जाना जरूरी है। इसलिए 5-6 वय वर्ग के बच्चे के भावी जीवन की दिशा तय करती है।

संयुक्त निदेशक, एस॰सी॰ई॰आर॰टी॰ उत्तराखण्ड, आशारानी पैन्यूली ने सभी का हार्दिक धन्यवाद देते हुए प्रशिक्षण साहित्य से संबंधित क्षेत्रों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसमें बालवाटिका के क्षेत्रों- प्रारम्भिक बाल्यकाल एवं बच्चे के बारे में समझ तथा स्कूल पूर्व शिक्षा में खेल का महत्व को सम्मिलित किया गया है। पूर्व प्राथमिक शिक्षा में सीखने हेतु वातावरण का सृजन को सम्मिलित किया गया है।

पूर्व प्राथमिक शिक्षा सीखने हेतु वातावरण का सृजन, अंकीय ज्ञान और भाषा संबंधी कौशल प्रशिक्षण साहित्य बनाने में एस॰सी॰ई॰आर॰टी॰ उत्तराखण्ड से अनुज्ञा पैन्यूली, डॉ॰ आलोक प्रभा पाण्डे, गंगा घुघत्याल, डा॰ उमेश चमोला, डा॰ हरेन्द्र सिंह अधिकारी, सुशील गैरोला, मोनिका गौड़ ने भाग लिया। तरूणा चमोला, बाल विकास परियोजना देहरादून, सीमा आर्य, सुपरवाइजर सहसपुर तथा सरिता पंवार, आंगनवाड़ी कार्यकर्त्री डोईवाला ने मॉड्यूल निर्माण में भाग लेते हुए मॉड्यूल निर्माण हेतु महत्वपूर्ण सुझाव दिए।

समापन से पहले प्रारंभिक बाल्यकाल की अवधारणा और विकासात्मक आवश्यकता पर अनुज्ञा पैन्यूली, बालवाटिका परिचय पर मोनिका गौड़ तथा बालवाटिका के संदर्भ में आकलन पर डा॰ आलोक प्रभा पाण्डेय द्वारा प्रस्तुतिकरण किया गया। इस अवसर पर अरुणिमा शर्मा द्वारा कठपुतलियों के माध्यम से कहानी का एवं वन्दना पाठक ने कविता का प्रस्तुतिकरण किया।

इस अवसर पर अनिता द्विवेदी, सहायक निदेशक, एस॰सी॰ई॰आर॰टी॰ उत्तराखण्ड, किरन बहुखण्डी एवं मधुबाला रावत, उप निदेशक, एस॰सी॰ई॰आर॰टी॰ उत्तराखण्ड, कंचन देवराड़ी, संयुक्त निदेशक, एस॰सी॰ई॰आर॰टी॰ उत्तराखण्ड, दिनेश चन्द्र गौड, अपर निदेशक, सीमैट उत्तराखण्ड, तथा समापन कार्यक्रम का संचालन करते हुए कार्यशाला के समन्वयक अखिलेश डोभाल द्वारा अवगत कराया कि प्रशिक्षण सत्र में बच्चे के समग्र विकास को ध्यान में रखते हुए बालवाटिका कक्षा शुरू की जानी है। आंगनवाड़ी कार्यकर्त्री बालवाटिका कक्षा को सुगमता से चला सकें इसके लिए एस॰सी॰ई॰आर॰टी॰ उत्तराखण्ड द्वारा प्रशिक्षण साहित्य बनाया जा रहा है।

गंगा घुघत्याल ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप उत्तराखण्ड द्वारा बालवाटिका कक्षा के लिए अब तक किए गए प्रयासों को साझा करते हुए कहा कि एस॰सी॰ई॰आर॰टी॰ उत्तराखण्ड द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकर्त्रियों के मार्गदर्शन हेतु हस्तपुस्तिका तैयार की गई है।

समापन सत्र में एस॰सी॰ई॰आर॰टी॰ उत्तराखण्ड के डा॰ कृष्णानन्द बिजल्वाण, डा॰ रमेश पंत, भुवनेश्वर पंत, नितिन कुमार एवं मनोज कुमार महार प्रमुख रूप से मौजूद रहे।

 

Tirth Chetna

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