शिक्षा विभागः प्रमोशन, प्रमोशन शिक्षकों को तदर्थ प्रमोशन
तीर्थ चेतना न्यूज
देहरादून। हिंदी फिल्म के गाने ना-ना करते….. की तर्ज पर शिक्षकों को भी प्रमोशन, प्रमोशन करते-करते तदर्थ प्रमोशन की बात होने लगी है। तदर्थ प्रमोशन की बात भी ऐसे पद से ऐसे पद पर हो रही है जो वास्तव में प्रमोशन की परिभाषा में आता ही नहीं है।
करीब तीन साल की एक्सरसाइज के बाद अब सरकार एलटी से प्रवक्ता पद पर विषयगत लाभ (विभाग द्वारा घोषित प्रमोशन) पर ऐसे निर्णय की ओर बढ़ रही है जो 20-25 साल की सेवा कर चुके शिक्षकों का मुंह चिढ़ाएगा। हां, कुछ नहीं से तो कुछ भला की तर्ज पर सोशल मीडिया में इसकी तारीफ भी हो रही है।
दरअसल, सरकार इस पद पर तदर्थ प्रमोशन देने की बात कर रही है। पूर्व में भी सरकार ऐसा कर चुकी है। तब भी शिक्षक इसे स्वीकार कर चुके हैं। अब भी कुछ शिक्षक जरूर स्वीकार कर लेंगे। दरअसल, एलटी से प्रवक्ता पद पर कथित प्रमोशन से स्कूलों का खास भला होने वाला नहीं है।
अच्छा होता कि हाई स्कूल के हेडमास्टर और इंटर कालेज के प्रिंसिपल पद पर शत प्रतिशत तदर्थ प्रमोशन हो जाते। उक्त पदों पर भी प्रमोशन वैसी ही वजह से रूके बताए जाते हैं जैसे एलटी से प्रवक्ता पद पर विषयगत लाभ के मामले में।
शिक्षकों के प्रमोशन के मामले में विभाग बहुमत की तर्ज पर काम करता दिख रहा है। एलटी से प्रवक्ता पद पर दो हजार से अधिक शिक्षकों को लाभ दिया जाना है। जबकि प्रधानाध्यापक और इंटर कालेज के प्रिंसिपल पद पर इससे कम।
अब सवाल उठ रहा है कि यदि तदर्थ ही प्रमोशन देना था तो तीन साल से इंतजार क्यों कराया। इस बीच बगैर प्रमोशन पाए रिटायर हुए शिक्षकों का क्या।
बहरहाल, डीजी स्कूली शिक्षा वंशीधर तिवारी ने माना कि तदर्थ प्रमोशन के विकल्प पर चर्चा चल रही है। हाई स्कूल के हेड मास्टर और इंटर कालेज के प्रिंसिपल के पदों पर प्रमोशन को लेकर भी विभाग गंभीर है।