सैनिकों का सम्मान करेगी वनबंधु परिषद, राष्ट्रीय महिला समिति की वार्षिक साधरण सभा
ऋषिकेश। सुदूर आदिवासी क्षेत्रों में एकल अभियान जरूरतमंदों तक पंचमुखी शिक्षा के प्रयास करने में सफल रहा है। वनबंधु परिषद के माध्यम से देश वीर सैनिकों को उनके घर-गांव में जाकर सम्मानित करने का निर्णय लिया है। जबकि मलिन बस्तियों के लिए शबरी योजना धरातल पर उतारी जाएगी।
वन बंधु परिषद की राष्ट्रीय महिला समिति की वार्षिक साधरण सभा में शिरकत करने को देश भर से प्रतिनिधि यहां पहुंचे हैं। बैठक में परिषद के कार्य को आगे बढ़ाने को मौजूदा दौर की जरूरत के मुताबिक जरूरतमंदों की मदद पर चर्चा की गई।
शुक्रवार को मीडिया से बातचीत करते हुए समिति की अध्यक्ष लता मालपानी ,महामंत्री विनीता जाजू, चेयरमैन माहेश्वरी और गीता मूंदड़ा ने विस्तार से जानकारी दी। बताया कि देश के सभी प्रांतों के शहरों में मलिन बस्तियों में रहने वाले लोगों के उत्थान के लिए शबरी बस्ती योजना के साथ देश की सीमाओं पर शहीद होने वाले शहीदों के गांव में जाकर सम्मान योजना का प्रारंभ करेगी।
बताया कि समिति 11 वर्षों से आदिवासी क्षेत्रों में कार्य कर रही है, जो की पूरी तरह से स्वयं सेवीयों पर आधारित संस्था है उन्होंने कहा कि संस्था द्वारा सभी क्षेत्रों में पंचमुखी शिक्षा पर लागतार फोकस किया गया है। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, समर्थ, स्वावलंबी और संस्कारवान शामिल है।
कहा कि शहरों में रह रहा सक्षम समाज आदिवासी और सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में आधारिक सुविधाओं से वंचित लोगों तक पहुंचे इस पर जोर दिया जा रहा है। काफी हद तक सफलता भी मिली है। कई स्तरीय मंचों में एक अभियान के कार्योंं को सराहा भी गया है।
एक सवाल के जवाब में पदाधिकारियों ने कहा कि एक अभियान बेहतरी का जनांदोलन है। इसकी तुलना सरकार से सहायता लेकर काम करने वाले एनजीओ से नहीं की जा सकती। ये विशुद्ध रूप से सदस्यों के सहयोग पर चलने वाली संस्था है।
बताया कि उनकी संस्था द्वारा भारत के चार लाख गांव में अभी तक एक लाख एकल विद्यालयों के माध्यम से वन क्षेत्रों में पेड़ों के नीचे बैठकर जरूरतमंद बच्चों को (गांव पढेगा तो देश बढ़ेगा )नारे को साकार करते हुए निशुल्क शिक्षा देकर उन्हें अपने पैरों पर खड़ा किए जाने का कार्य कर रही है।
उन्होंने बताया कि शिक्षा के साथ उनकी संस्था द्वारा स्वास्थ्य जागरूकता अभियान के अंतर्गत इस प्रकार के बच्चों का पूरी तरह स्वास्थ्य परीक्षण करने के साथ ही उन्हें निशुल्क चिकित्सा और दवाइयां भी उपलब्ध करवाती है, उनका कहना था कि अभी तक उनकी संस्था छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश ,झारखंड, महाराष्ट्र, गुजरात के आदिवासी क्षेत्रों के अतिरिक्त उत्तराखंड राज्य में भी एकल विद्यालय चला रही है।