भाजपा के नेताओं की दिल्ली दौड़ क्या कहलाती है

ऋषिकेश। चुनाव परिणाम से पहले भाजपा नेताओं की दिल्ली दौड़ को लेकर उत्तराखंड में जितने मुंह उतनी बातें हो रही हैं। दिल्ली दौड़ लगाने वाले नेताओं के खास समर्थक इस बात को पब्लिक डोमेन में इस गरज के साथ डाल रहे हैं कि चुनाव परिणाम के बाद दौड़ में नेता ती की मौजूदगी बरकरार रहे।
उत्तराखंड सिर्फ नाम का राज्य बनकर रह गया है। इसके बारे में सभी निर्णय दिल्ली में ही होते हैं। राज्य की राजनीति पूरी तरह से राजनीतिक दलों के दिल्ली मुख्यालय से ही नियंत्रित होती है। परिणाम यहां के कामकाज पर दिल्ली की छाप साफ-साफ दिखती है।
किसको विधायकी का टिकट मिलेगा, कौन मंत्री और किसी सीएम बनाना है। ये सब दिल्ली में ही तय होता है। स्थिति ये बन गई है कि दिल्ली की कानाफूसी उत्तराखंड की राजनीति में बड़ा रोजगार का रूप ले चुकी है।
अभी चुनाव परिणाम 10 मार्च को आना है। मगर, भाजपा के नेताओं की दिल्ली दौड़ मतदान के बाद से शुरू हो गई। इस दौड़ को मीडिया के एक वर्ग में कभी तलब तो कभी चर्चा के लिए बुलाने के नाम पर प्रचारित किया गया।
अब सरकार बनाने का प्लान बी और सी के नाम पर प्रचारित किया जा रहा है। बीच-बीच में संगठन की कुर्सियों के हिलने-डुलने की बात भी प्रचारित कराई जा रही है। टेंशन रिलीज करने को एक-दूसरे के घर जा रहे नेताओं के मूवमेंट को बड़ी राजनीति के तौर पर प्रस्तुत किया जा रहा है।
ये सब बातें इसलिए हो रही हैं कि 10 मार्च के बाद बनने वाली स्थिति में बड़ी कुर्सी की दौड़ में नेताओं की मौजूदगी सलामत रहे।