गवर्नमेंट पीजी कॉलेज नई टिहरी में मनाया गया गढ़भोज दिवस
तीर्थ चेतना न्यूज
नई टिहरी। गवर्नमेंट पीजी कॉलेज, नई टिहरी में गढ़भोज दिवस की धूम रही। रही इस मौके पर औषधीय गुणों से भरपूर फसलों से बनने वाले पारंपरिक व्यंजनों पर प्रकाश डाला गया।
सोमवार को वनस्पति विज्ञान विभाग एवं गृह विज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित गढ़भोज दिवस का शुभारंभ प्रिंसिपल प्रो. पुष्पा नेगी ने किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि गढ़भोज दिवस मनाने का उददेश्य छात्र/ छात्राओं एवं कर्मचारियों में उत्तराखंड के औषधीय गुणों से भरपूर पारंपरिक भोजन के प्रति जागरूकता लाना है।
उन्होंने आगे बताया कि किसी भी क्षेत्र के पर्यटन को बढ़ाने में सबसे महत्वपूर्ण योगदान वहां के भोजन का होता है। साथ ही उन्होंने उत्तराखंड के मोटे अनाजों की खेती पर भी बल दिया और सामुदायिक खेती के माध्यम से बंजर पड़े खेतों को पुनर्जीवित करने का आह्वाहन किया।
वनस्पति विज्ञान विभाग की डॉ. हेमलता बिष्ट ने उत्तराखंड के पर्वों और उत्सवों में बनने वाले विशेष पकवानों और उनके पोषण मूल्यों के विषय में जानकारी दी । उन्होंने बताया कि हमारे क्षेत्र का मंडुआ, झंगोरा, बुखना, पकोड़े, अरसे किस प्रकार हमारे जीवनशैली और पोषण का अहम हिस्सा रहे हैं।
गृह विज्ञान विभाग की डॉ. ऋचा पंत ने उत्तराखंड के पारंपरिक दालों, फलों और जंगली बेरी जैसे हिसल, काफल के पोषण मूल्यों के बारे में बताया। साथ ही, विभिन्न पाक-विधियों जैसे उबालना, भिगोना आदि के महत्व के बार में जानकारी दी । इस अवसर पर एक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया।
संचालन स्नातकोत्तर की छात्राओं कु. नासिका और कु. आरती ने किया। प्रतियोगिता में 45 प्रतिभागियों ने भाग लिया जिसमें ऋषभ, कनक, रजत, लक्ष्मी और समीक्षा ने क्रमशः प्रथम, द्वितीय, तृतीय और सांत्वना स्थान प्राप्त किया । साथ ही, औषधीय व्यंजनों पर एक लिखित पाक विधि प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया जिसमें 25 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया।
डॉ रजनी गुसाई डॉ ममता रावत डॉ हर्षिता प्रतियोगिताओं की निर्णायक की भूमिका में रहे। संचालन डॉ. हेमलता बिष्ट ने किया तथा डॉ. हर्षिता जोशी, डॉ. आरती खंडूरी, डॉ निशांत भट्ट डॉ. कमलेश पांडे डॉ पुष्पा पंवार डॉ अंकिता डॉ वंदना डॉ भारतीऔर डॉ पूनम ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम के माध्यम से विभिन्न पारंपरिक व्यंजनों के विषय में छात्र छात्राओं ने भी उत्साहित होकर अपने विचार रखे और इस दौरान परंपरागत भोजन को अपनाकर इसके प्रचार प्रसार में युवाजन की भूमिका पर भी विस्तार से चर्चा की गई।