ऋषिकेश।अन्तर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस पर प्रकृति के साथ समन्वय और उसके संरक्षण का संकल्प लिया गया।
परमार्थ निकेतन में आयोजित कार्यक्रम में देश भर से आए विभिन्न धर्म और संप्रदाय के लोगों ने शिरकत की। इस मौके पर राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों की समस्याओं पर चर्चा की गई। विषम भौगोलिक परिस्थितियों से दो चार होने वाले जीवन को सुगम बनाने पर विचार हुआ।
इस मौके पर स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि पहाड़ों के कष्ट भी पहाड़ जैसे हैं। उन्हे पलायन से कम नही किया जा सकता बल्कि उन्हें बसाकर और सजाकर ही कम किया जा सकता है। इस दिशा में काम करने की जरूरत है।
आर्गेनिक कल्चर और हरियाली संवर्द्धन कर अगर उत्तराखण्ड के कुछ क्षेत्रों को ही आर्गेनिक कल्चर युक्त बना दे तो स्थानीय लोगों को बहुत सारी चीजे दी जा सकती है; आर्गेनिक फसलों को लोगों के खाद्य में शामिल किया जा सकता है।
लोगां के खेत आर्गेनिक खेती से हरे-भरे हो सकते है। उन्होने कहा कि सरकार पानी की व्यवस्था करे तो मैं समझता हूँ पहाड़ के लोग की हिम्मत में भी पहाड़ की तरह ही होते है अतः आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देकर उनके कष्टो को कम किया जा सकता है।
पारस्परिक संवाद कार्यशाला में सहभाग करने आये प्रतिभागियों ने कहा कि हम इस पर शोध कर इस कार्य को आगे बढ़ायेंगे और इस पर कार्य करेगे।
कहा कि पहाड़ों और प्रकृति को बचाने के लिये अपने-अपने तरीके से समाधान निकाले। समाधान कहीं बाहर नहीं है ’हम है समाधान’। उन्होने कहा कि समस्यायें भले ही पहाड़ जैसी लगती है परन्तु हम उन्हे भी ठीक से समझने की कोशिश करे तो हमारी समस्यायें भी समाधान बन जायेगी।